शिवलिंग, जिसे शिव लिंगम के नाम से भी जाना जाता है,जो भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करता है, जो हिंदू देवताओं में प्रमुख देवताओं में से एक है। यह एक बेलनाकार पत्थर की संरचना होती है जो भगवान शिव से जुड़ी दिव्य ऊर्जा और ब्रह्मांडीय शक्ति का प्रतीक है। शस्त्रों की माने को शिवलिंग का अर्थ अनंत होता है जिसकी न तो कोई शुरुआत है और न ही कोई अंत।
ज्योतिर्लिंग कुछ और नही भगवान शिव के स्वयंभू अवतार है। जहाँ भगवान शिव ज्योति के रूप में प्रकट हुए थे, उन्ही स्थानों को ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि ज्योतिर्लिंगो को किसी मानव ने नही बनाया है, बल्कि वे खुद से बने है मतलब की वो स्वयंभू है
शिवलिंग एक बेलनाकार पत्थर के आकार में भगवान शिव के भौतिक रूप को संदर्भित करता है ज्योतिर्लिंग भारत भर में 12 प्रसिद्ध लिंगों (शिव मंदिरों) को संदर्भित करता है जिन्हें भगवान शिव के स्वयं प्रकट या स्वयं उत्पन्न होने वाले रूप माना जाता है।
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शिवलिंग दुनिया भर के विभिन्न मंदिरों और तीर्थस्थलों में पायें जाते है जबकि ज्योतिर्लिंग 12 लिंगों का एक विशिष्ट समूह है, जिनमें से प्रत्येक एक विशेष कथा और स्थान से जुड़ा हुआ है।
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शिवलिंग शाश्वत, सर्वव्यापी ब्रह्मांडीय ऊर्जा और चेतना का प्रतिनिधित्व करता है। ज्योतिर्लिंग को भगवान शिव का उग्र रूप माना जाता है और इसे अत्यधिक शुभ माना जाता है।
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शिवलिंग भारत और विदेशों दोनों में भगवान शिव को समर्पित मंदिरों और में पायें जाते है। ज्योतिर्लिंग के विशिष्ट स्थान हैं जैसे कि गुजरात में सोमनाथ, उत्तराखंड में केदारनाथ और मध्य प्रदेश में महाकालेश्वर, आदि।
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शिवलिंग की पूजा में प्रार्थना और मंत्रों का जाप करते हुए जल, दूध और अन्य पवित्र पदार्थ चढ़ाना शामिल है। ज्योतिर्लिंग मंदिरों से जुड़े विशिष्ट अनुष्ठान और प्रथाएं हैं, जिन्हें पुजारियों और भक्तों द्वारा भगवान शिव का सम्मान करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए किया जाता है।
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भारत में या कहे विश्व में शिवलिंग की दिन प्रतिदिन व्यापक रूप से पूजा की जाती हैं। ज्योतिर्लिंग अपने ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के कारण भक्तों के बीच एक विशेष स्थान रखता है। पूरे भारत और विदेश से तीर्थयात्री आशीर्वाद लेने और आध्यात्मिक उत्थान प्राप्त करने के लिए इन ज्योतिर्लिंग मंदिरों में आते हैं।
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माना जाता है कि शिवलिंग की पूजा करने से आपके भीतर सुप्त आध्यात्मिक ऊर्जा जागृत होती है और परमात्मा के साथ गहरा संबंध स्थापित होता है। ज्योतिर्लिंग मंदिरों में दर्शन और पूजा-अर्चना करना भगवान शिव के उग्र स्वरूप का प्रत्यक्ष आशीर्वाद और कृपा प्राप्त करने का एक साधन माना जाता है।
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