भगवद गीता और भागवत पुराण में अंतर (2023 with Table) | Difference between Bhagwat Geeta and Bhagwat Puraan in Hindi

Difference between Bhagwat Geeta and Bhagwat Puraan : भगवद गीता और भागवत पुराण दो सबसे महत्वपूर्ण हिंदू ग्रंथ हैं। इन प्राचीन ग्रंथों को दुनिया भर के लाखों लोगों द्वारा एक पूर्ण और आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए मार्गदर्शक माना जाता है।

दोनों ग्रंथों में कई समानताएँ हैं, पर वे अपनी सामग्री, संरचना और शैली में  भिन्न हैं।

इस पोस्ट में, हम भगवद गीता और भागवत पुराण के बीच के अंतरों  (Difference between Bhagwat Geeta and Bhagwat Puraan) का पता लगाएंगे और हिंदू धर्म और व्यापक दुनिया के लिए उनके महत्व की जांच करेंगे।

पहले जानते है कि ग्रंथ भगवद गीता में क्या है?

भगवद गीता क्या है? (What is Bhagwat Geeta?)

  • भगवद गीता एक पवित्र हिंदू ग्रंथ है जो महाकाव्य महाभारत का हिस्सा है।
  • यह कुरुक्षेत्र युद्ध के मैदान में भगवान कृष्ण और योद्धा अर्जुन के बीच एक संवाद है।
  • गीता में आत्म-साक्षात्कार, कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग सहित कई विषयों पर शिक्षाएँ हैं।
  • इसे हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक माना जाता है, और इसका कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है और दुनिया भर के विद्वानों और आध्यात्मिक साधकों द्वारा इसका अध्ययन किया गया है।

इसके बाद जानते है कि भागवत पुराण में क्या है ?

भागवत पुराण क्या है? (What is Bhagwat Puraan?)

  • भागवत पुराण एक हिंदू शास्त्र है जो भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है, और सभी पुराणों में सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली है।
  • इसमें 335 अध्याय, 12 स्कन्ध और 18,000 से अधिक श्लोक हैं, और माना जाता है कि 8वीं और 10वीं शताब्दी सीई के बीच रचित किया गया था।
  • भागवत पुराण भगवान विष्णु और उनके कई अवतारों की कहानी बताता है, और इसमें धर्म, कर्म और भक्ति पर शिक्षाएं शामिल हैं।
  • यह भगवान विष्णु के भक्तों द्वारा पूजनीय है, और इसे प्राचीन हिंदू समाज और संस्कृति की जानकारी का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी माना जाता है।

हम नीचे टेबल में भागवत पुराण के 12 स्कन्धो का विवरण दे रहे है –

स्कन्ध संख्या

विवरण

प्रथम स्कन्ध

इसमें भक्तियोग और उससे उत्पन्न एवं उसे स्थिर रखने वाला वैराग्य का वर्णन किया गया है।

द्वितीय स्कन्ध

ब्रह्माण्ड की उत्त्पत्ति एवं उसमें विराट् पुरुष की स्थिति का स्वरूप।

तृतीय स्कन्ध

उद्धव द्वारा भगवान् का बाल चरित्र का वर्णन।

चतुर्थ स्कन्ध

राजर्षि ध्रुव एवं पृथु आदि का चरित्र।

पंचम स्कन्ध

समुद्र, पर्वत, नदी, पाताल, नरक आदि की स्थिति।

षष्ठ स्कन्ध

देवता, मनुष्य, पशु, पक्षी आदि के जन्म की कथा।

सप्तम स्कन्ध

हिरण्यकश्यिपु, हिरण्याक्ष के साथ प्रहलाद का चरित्र।

अष्टम स्कन्ध

गजेन्द्र मोक्ष, मन्वन्तर कथा, वामन अवतार

नवम स्कन्ध

राजवंशों का विवरण। श्रीराम की कथा।

दशम स्कन्ध

भगवान् श्रीकृष्ण की अनन्त लीलाएं।

एकादश स्कन्ध

यदु वंश का संहार।

द्वादश स्कन्ध

विभिन्न युगों तथा प्रलयों और भगवान् के उपांगों आदि का स्वरूप।

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वैसे तो इन दोनों ग्रंथो की आपस में कोई तुलना नहीं है  ! पर यहाँ हम सिर्फ उन में जो मूल अंतर है वो बता रहे है, तो आएये जाने वे क्या है –

भगवद गीता और भागवत पुराण में अंतर (Difference between Bhagwat Geeta and Bhagwat Puraan)

अंतर

भगवद गीता

भागवत पुराण

विषय वस्तु

भगवद गीता मुख्य रूप से एक दार्शनिक पाठ है जो व्यक्ति की आध्यात्मिक यात्रा और आत्म-साक्षात्कार की प्राप्ति पर केंद्रित है।

जबकि भागवत पुराण एक भक्ति पाठ है जो भगवान के लिए भक्ति (भक्ति) के महत्व पर जोर देता है।

रचियता

भगवद गीता भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया ज्ञान इसलिए इसके मूल रचियता का ज्ञान नहीं हो पर विद्वानों द्वारा ऋषि वेद व्यास को इसकी रचना का श्रेय दिया जाता है,

 भागवत पुराण को ऋषि वेद व्यास द्वारा लिखा गया माना जाता है।

संरचना

भगवद गीता भगवान कृष्ण और अर्जुन के बीच एक संवाद है, और इसमें 18 अध्याय हैं।

जबकि भागवत पुराण को 335 अध्याय तथा 12 स्कन्ध में विभाजित किया गया है।

भगवान का ध्यान

भगवद गीता एक सर्वोच्च शक्ति को स्वीकार करती है, यह किसी एक विशेष देवता पर ध्यान केंद्रित नहीं करती है।

जबकि भागवत पुराण भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है।

भाषा

भगवद गीता संस्कृत में लिखी गई है

जबकि भागवत पुराण संस्कृत और क्षेत्रीय दोनों भाषाओं में लिखा गया है

समय अवधि

माना जाता है कि भगवद गीता 400 ईसा पूर्व और 200 सीई के बीच लिखी गई थी।

जबकि भागवत पुराण 8वीं और 10वीं शताब्दी सीई के बीच लिखा गया माना जाता है।

लंबाई

भगवद गीता में 700 श्लोक हैं।

वंही भागवत पुराण 18,000 से अधिक श्लोक हैं।

साहित्यिक शैली

भगवद गीता एक संवाद के रूप में लिखी गई है, जो भगवान कृष्ण और अर्जुन के बीच के संवाद है।

 भागवत पुराण एक कथा के रूप में लिखा गया है।

श्रोतागण

भगवद गीता मुख्य रूप से आध्यात्मिक साधकों और दर्शन में रुचि रखने वालों के लिए लक्षित है।

भागवत पुराण भगवान विष्णु के भक्तों के लिए लक्षित है।

महत्व

भगवद गीता को हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक माना जाता है।

भागवत पुराण को सभी पुराणों में सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली माना जाता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

भगवद गीता और भागवत पुराण दोनों हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ हैं, उनकी विषय वस्तु, लेखकत्व, संरचना, भगवान पर ध्यान, भाषा, समय अवधि, लंबाई, साहित्यिक शैली में कई अंतर हैं।

भगवद गीता दर्शन और आध्यात्मिक प्राप्ति पर केंद्रित है वंही भागवत पुराण भगवान विष्णु की भक्ति पर जोर देता है।

भगवद गीता भगवान कृष्ण और अर्जुन के बीच एक संवाद है, जबकि भागवत पुराण बारह खंडो में विभाजित एक कथा है।

दोनों ग्रंथ हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखते हैं, लेकिन उनकी अलग-अलग विशेषताएं हैं जो उन्हें एक दूसरे से अलग करती हैं।

दोनों ग्रंथ हिंदू धर्म के  प्राचीन ग्रंथों में है जो हिंदू धर्म को मानने वालो के लिए पवित्र और पूजनीय है !!

हमे उम्मीद है इस पोस्ट से आप को भगवद गीता और भागवत पुराण में अंतर (Difference between Bhagwat Geeta and Bhagwat Puraan) के बारे में पता चला होगा! अगर इसके बाद भी अगर आपके मन में कोई सवाल है तो मेरे कमेंट बॉक्स में आकर पूछे। हम आपके सवालों का जवाब अवश्य देंगे।

तब तक के लिए धन्यवाद और मिलते हैं अगले आर्टिकल में!

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