difference between Shwetambar and Digambar Jain 2023 Hindi, श्वेताम्बर और दिगम्बर जैन में अंतर, Shwetamber aur Digamber Jain me antar – जैन धर्म एक प्राचीन धर्म है जो उस दर्शन में निहित है जो सभी जीवित प्राणियों को अनुशासित अहिंसा के माध्यम से मुक्ति का मार्ग और आध्यात्मिक शुद्धता और आत्मज्ञान का मार्ग सिखाता है।
जैन दो प्रमुख संप्रदायों में विभाजित हैं; दिगंबर संप्रदाय (अर्थ जो ये मानते है की हमने आकाश के आलावा कुछ नही पहना हुआ है) और श्वेतांबर संप्रदाय (अर्थात् जो सफेद कपडे पहनते है)। इनमें से प्रत्येक संप्रदाय को उपसमूहों में भी विभाजित किया गया है। इन दोनों प्रमुख संप्रदाय, दिगंबर और श्वेतांबर, की उत्पत्ति महावीरजी के निर्वाण के लगभग दो सौ साल बाद हुई।
आज के लेख में हम इन दोनों सम्प्रदाय में क्या अंतर है उस पर बात करेंगे –
Contents
तुलना सारणी
जैन धर्म में दोनों सम्प्रदायों में निम्नलिखित अंतर है, जिसे में तालिका के माध्यम से समझाने की कोशिश करूँगा –
दिगम्बर जैन | श्वेताम्बर जैन |
दिगंबर का मानना है कि महिलाएं सीधे निर्वाण या मुक्ति प्राप्त नहीं कर सकती हैं। इसके लिए उन्हें पहले एक पुरुष के रूप में पुनर्जन्म लेना होगा। | दूसरी ओर, श्वेतांबर की एक अलग राय है। उनके अनुसार महिलाएं भी पुरुषों के समान ही मुक्ति पाने में सक्षम हैं। वे सबस्त्र मुक्ति में विश्वास करते हैं। उनका मानना है कि कोई भी मोक्ष प्राप्त कर सकता है, चाहे वह गृहस्थ हो या साधु। |
दिगंबर का मानना है कि निर्वाण या मुक्ति प्राप्त करने के लिए , कपड़े सहित सब कुछ त्याग देना चाहिए। इसलिए दिगंबर साधु पूरी तरह से नग्न होते हैं। | इसके विपरीत श्वेतांबर, मानते हैं कि मुक्ति प्राप्त करने के लिए नग्नता का अभ्यास आवश्यक नहीं है। इसलिए वे सफेद कपड़े पहनते हैं। |
दिगंबर भिक्षुओं को किसी भी प्रकार की संपत्ति रखने की अनुमति नहीं है। उनका मानना है कि एक सच्चे साधु का जीवन जीने के लिए सब कुछ त्यागना आवश्यक है। हालाँकि, वे आमतौर पर तीन चीजें अपने साथ रखते हैं: 1. पिची - मोर के गिरे हुए पंखों से बनी झाड़ू। वे इस झाड़ू का इस्तेमाल छोटे-छोटे कीड़ों को बिना नुकसान पहुंचाए निकालने के लिए करते हैं। | श्वेतांबर भिक्षुओं को 14 विशिष्ट चीजें रखने की अनुमति है, जिनमें शामिल हैं: 1. सफ़ेद कपड़े 2. राजोहरड़ः - लकड़ी के हैंडल से जुड़ी मुलायम सफेद ऊन से बनी झाड़ू। इसका उपयोग करके वे छोटे-छोटे कीड़ों को बिना नुकसान पहुंचाए उनके रास्ते से हटा देते हैं। 3. भीख का कटोरा 4. किताबें आदि। |
दिगंबर जैन महावीर भगवान् के जन्म को लेकर प्रचलित बातों को जो श्वेतांबर जैन मानते हैं उसे स्वीकार नहीं करते हैं। दिगंबर जैनियों का मानना है कि महावीर की मां ने उनके जन्म से पहले 14 के बजाय 16 सपने आये थे। | श्वेतांबर जैन मानते हैं कि महावीर के भ्रूण का निर्माण सबसे पहले ब्राह्मण महिला देवानंद में हुआ था । लेकिन भ्रूण का परिवर्तन गर्भाधान के 83 वें दिन भगवान इंद्र के सेनापति, हरि- नाइगामेसिन (जिसे कार्तिकेय के नाम से भी जाना जाता है) ने किया था। और भ्रूण को एक क्षत्रिय महिला, त्रिशला को स्थानांतरित कर दिया जाता है , जो राजा सिद्धार्थ की पत्नी है।
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दिगंबर इस पर विश्वास नहीं करते हैं कि महावीर स्वामी का विवाह हुआ था। उनके अनुसार, महावीर के माता-पिता चाहते थे कि उनका विवाह यशोदा से हो , लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। इस प्रकार, उनका मानना है कि महावीर बाल ब्रह्मचारी हैं यानी उन्होंने कभी शादी नहीं की और अपने जीवनकाल में ब्रह्मचारी रहे। | श्वेतांबर का मानना है कि सांसारिक जीवन को त्यागने से पहले महावीर का विवाह राजकुमारी यशोदा से हुआ था । इसके अलावा, उनकी प्रियदर्शन नाम की एक बेटी है (जिसे अनोजा भी कहा जाता है ) उसके माध्यम से। |
दिगंबर जैन में भगवान् महावीरजी की मूर्तियाँ बिना कपड़ो के होती है और उन मूर्तियों में भगवान् की आँखों नीच के ओर देखते हुए होती है। | तीर्थंकरों की श्वेतांबर की मूर्तियों को गहनों से सजाया गया है, जो लंगोट पहने हुए हैं, जिसमें भगवान् की आंखें सामने की तरह देखते हुए होती हैं। |
जैन धर्म में, तीर्थंकरों द्वारा दिए गए प्रवचन को श्रुति ज्ञान के रूप में जाना जाता है । इसमें 11 अंग और 14 पूर्व शामिल हैं । दिगंबर का मत है कि जैन धर्म के मूल ग्रंथ पहले खो गए थे। | श्वेतांबर का मानना है कि उनके पास मूल जैन ग्रंथ हैं। हालाँकि, वे यह भी स्वीकार करते हैं कि उनका संग्रह भी अधूरा है। |
दिगम्बर जैन के अनुसार | श्वेतांबर जैन के अनुसार |
दिगंबर जैनियों का मानना है कि मंत्र की पहली पांच पंक्तियों का ही पाठ करना चाहिए। | हालांकि, श्वेतांबर जैन मानते हैं कि सभी नौ पंक्तियों का पाठ करना चाहिए। |
दिगंबर जैन मानते हैं कि मल्लिनाथ एक पुरुष थे। | इसके विपरीत श्वेतांबर जैन मानते हैं कि मल्लिनाथ मल्ली नाम की एक महिला थीं । |
दिगंबर जैन में दिगंबर भिक्षु एकदम सख्त होते हैं कि वे दिन में केवल एक बार भोजन करते हैं। वे भोजन एकत्र करने के लिए कटोरे का उपयोग नहीं कर सकते। इसलिए वे इसे अपने हाथों से इकट्ठा करते हैं और फिर इसे अपने हाथों से ही खाते हैं। वे केवल एक ही घर से भोजन एकत्र करते हैं, जहां उनका संकल्प (पूर्वकल्पित विचार) पूरा होता है। | श्वेतांबर भिक्षु अपना भोजन एक कटोरे में इकट्ठा करते हैं। वे एक से अधिक घरों से स्वतंत्र रूप से उन्हें दिए गए भोजन की तलाश और संग्रह कर सकते हैं। साथ ही, वे दिन में एक से अधिक बार खा सकते हैं। |
दिगम्बर जैन कौन होते है? (Who are Digamber Jains)
What is Digambara – जैसा की ऊपर बताया दिगम्बर जैन, जैन मुख्यधारा से निकला हुआ जैन सम्प्रदाय है। जिसके अपने मत और विचारधाराएँ है और उन्ही वजहों से वो श्वेताम्बर जैनियों से भिन्न है। दिगम्बर बिना कपड़ो के रहते है और मानते है कि आकाश ही उनका अम्बर मतलब की कपड़े है। वही उनके मत के अनुसार महिलाएं सीधे निर्वाण , मोक्ष या मुक्ति प्राप्त नहीं कर सकती हैं। इसके लिए उन्हें पहले पुरुष रूप में पुनर्जन्म लेना होगा और तभी उनके लिए मुक्ति का मार्ग सुगम है। आप पढ़ रहे है – Difference Between Shwetambar and Digambar Jain 2022 Hindi
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श्वेताम्बर जैन कौन होते है? (Who are Shwetamber Jains)
What is Shwetamber – श्वेताम्बर सम्प्रदाय भी दिगम्बर सम्प्रदाय की तरह ही जैन मुख्यधारा से निकला हुआ जैन सम्प्रदाय है। जिसमे उनका मत है कि कोई भी मोक्ष प्राप्त कर सकता है, चाहे वह गृहस्थ हो या साधु। श्वेताम्बर समुदाय की मुनि सफ़ेद कपडे धारण करते है। इस समुदाय का मानना है कि महिलाएं भी पुरुषों के समान मोक्ष या मुक्ति पाने में सक्षम हैं।
यूट्यूब विडियो (YouTube Video)
दोस्तों हमने अंतर को जल्दी से समझने के लिए आप लोगो के लिए यूट्यूब शॉर्ट्स बनाया है, कृपया नीचे दी हुए थंबनेल पर क्लिक करके इसे देखे और कमेंट्स करके अपने सुझाव दे –
दिगम्बर और श्वेताम्बर जैन में मुख्य अंतर (Difference Between Shwetambar and Digambar Jain)
Key Differences between Digambar and Shwetamber Jains – दिगम्बर और श्वेताम्बर जैन में मुख्य अंतर निम्नलिखित है –
1. दिगम्बर का मानना है की सिर्फ पुरुष ही मोक्ष या मुक्ति की प्राप्ति कर सकते है, महिलायें मोक्ष या मुक्ति प्राप्त नही कर सकती, इसके लिए उन्हें पुनर्जन्म लेना होगा वो भी पुरुष के रूप में। वही श्वेताम्बर लोग का मानना इसके विपरीत है वो मानते है कि महिलाएं भी पुरुषों के समान ही मुक्ति पाने में सक्षम हैं। वे सबस्त्र मुक्ति में विश्वास करते हैं।
2. दिगंबर सम्प्रदाय का मानना है कि निर्वाण या मुक्ति प्राप्त करने के लिए, इंसान को कपड़े सहित सब कुछ सब कुछ त्यागना पढ़ेगा। इसलिए दिगंबर साधु पूरी तरह से नग्न होते हैं। वही श्वेताम्बरों का मानना है किमुक्ति प्राप्त करने के लिए नग्नता का अभ्यास आवश्यक नहीं है। इसलिए वे सफेद कपड़े पहनते हैं।
3. दिगंबर भिक्षुओं किसी भी प्रकार की संपत्ति रखने की अनुमति नहीं है। उनका मानना है कि एक सच्चे साधु का जीवन जीने के लिए सब कुछ त्यागना जरूरी है। किन्तु वे आमतौर पर तीन चीजें अपने साथ रखते हैं – पिची (मोर के गिरे हुए पंखों से बनी झाड़ू), कमंडल और शास्त्र। वही श्वेताम्बर भिक्षुओं को 14 विशिष्ट चीजें रखने की अनुमति है, जिनमे सफ़ेद कपड़े,राजोहरण, भीक्षा का कटोरा, और किताबें शामिल हैं।
4. श्वेतांबर जैन मानते हैं कि महावीर के भ्रूण का निर्माण सबसे पहले ब्राह्मण महिला देवानंद में हुआ था । लेकिन भ्रूण का परिवर्तन गर्भाधान के 83 वें दिन भगवान इंद्र के सेनापति, हरि- नाइगामेसिन (जिसे कार्तिकेय के नाम से भी जाना जाता है) ने किया था, और भ्रूण को एक क्षत्रिय महिला, त्रिशला को स्थानांतरित कर दिया जाता है , जो राजा सिद्धार्थ की पत्नी है। आप पढ़ रहे है – Difference Between Shwetambar and Digambar Jain 2022 Hindi
साथ ही श्वेतांबर जैनियों का मानना है कि महावीर की मां ने उनके जन्म से पहले 14 शुभ स्वप्न देखे थे। वही दिगंबर जैन महावीर भगवान् के जन्म को लेकर प्रचलित बातों को जो श्वेतांबर जैन मानते हैं उसे स्वीकार नहीं करते हैं। दिगंबर जैनियों का मानना है कि महावीर की मां ने उनके जन्म से पहले 14 के बजाय 16 सपने आये थे।
5. दिगंबर लोग मानते है कि महावीर स्वामी का विवाह नही हुआ था। उनका मानना है कि महावीर बाल ब्रह्मचारी हैं यानी उन्होंने कभी शादी नहीं की और अपने जीवनकाल में ब्रह्मचारी रहे। वही श्वेतांबर का मानना है कि सांसारिक जीवन को त्यागने से पहले महावीर का विवाह राजकुमारी यशोदा से हुआ था । इसके अलावा, उनकी प्रियदर्शन नाम की एक बेटी है (जिसे अनोजा भी कहा जाता है ) उसके माध्यम से।
6. दिगंबर का मानना है कि एक बार एक भिक्षु सर्वज्ञ (केवला ज्ञान ) प्राप्त कर लेता है, तो उसे जीवित रहने के लिए भोजन की आवश्यकता नहीं होती है। इस पर श्वेतांबर जैनियों की एक अलग राय है। वे मानते हैं कि जब तक केवली (या सर्वज्ञ) पुरुष या स्त्री ने शरीर का त्याग नहीं किया है, तब तक उन्हें शरीर के पोषण के लिए भोजन की आवश्यकता होती है।
7. श्वेतांबर का मानना है कि कैवल्य की स्थिति में महावीर स्वामी बीमारी से पीड़ित थे। हालांकि, दिगंबर का मानना है कि वह किसी भी तरह की बीमारी से पीड़ित नहीं थे।
8. दिगंबर का मानना है कि दिगम्बर मुनि या भिक्षु दिन में केवल एक बार भोजन करते हैं। वे भोजन एकत्र करने के लिए कटोरे का उपयोग नहीं कर सकते। इसलिए वे इसे अपने हाथों से इकट्ठा करते हैं और फिर इसे अपने हाथों से ही खाते हैं। वे केवल एक ही घर से भोजन एकत्र करते हैं, जहां उनका संकल्प पूरा होता है।
वही दूसरी ओर श्वेतांबर भिक्षु अपना भोजन एक कटोरे में इकट्ठा करते हैं। वे एक से अधिक घरों से स्वतंत्र रूप से उन्हें दिए गए भोजन की तलाश और संग्रह कर सकते हैं। साथ ही, वे दिन में एक से अधिक बार खा सकते हैं। आप पढ़ रहे है – Difference Between Shwetambar and Digambar Jain 2022 Hindi
निष्कर्ष (Conclusion)
तो दोस्तो हमे उम्मीद है आपको यह आर्टिकल Difference Between Shwetambar and Digambar Jain जरूर पसंद आया होगा। इसके साथ ही आपको दिगम्बर और श्वेतांबर क्या होते है, उनके क्या मत और विचारधाराएँ है इसके बारे में भी जानकारी मिल गई होगी। अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो हमे कॉमेंट में जरूर बताएं और अगर इसके अलावा भी आपको किसी प्रकार का कोई सवाल है तो हमे जरूर बताएं।