7 Difference Between Retail Banking And Corporate Banking In Hindi | Retail aur Corporate Banking Mein Antar | रिटेल और कॉर्पोरेट बैंकिंग में अंतर?
7 Difference Between Retail Banking And Corporate Banking In Hindi | Retail aur Corporate Banking Mein Antar | रिटेल और कॉर्पोरेट बैंकिंग में अंतर? – हमारी अर्थव्यवस्था (Economy) में Banking एक बेहद ज़रूरी भूमिका निभाती है। ये Assure करती हैं कि लेनदेन तेजी से और बिना किसी गड़बड़ी के हो। ये एक ऐसा Financial System हैं जो Personal या Professional जरूरतों के लिए लोगों को पैसा उधार दे सकता है।
अधिकतर सभी Financial काम Banks के माध्यम से या उसके द्वारा ही किए जाते हैं। Salary, बिल, Savings, Loans और E-payment सब कुछ बैंकों की वजह से ही संभव होता है। बैंक लोगों के बीच एक Mediator का काम करते हैं। वे Commerce को और सुविधाजनक (Convenient) बनाने में मदद करते हैं। इसीलिए इन्ही में ही Banks की दो Term है जो लोगों के बीच काफी ज़्यादा चलन में है जिन्हें हम Retail Banking और Corporate Banking के नाम से जानते हैं।
आज के इस Article 7 Difference Between Retail Banking And Corporate Banking In Hindi के अंदर मैं आप सभी को Retail Banking और Corporate Banking में क्या अंतर होता है? इसके बारे में बताने वाला हूं जिसकी वजह से आप Retail Banking Aur Corporate Banking Mein Antar In Hindi को और बेहतर ढंग से समझ पाएंगे।
तो आइए आज का ये Article शुरू करते हैं,
Contents
तुलना सारणी (Comparison Chart)
तुलना का आधार | Retail Banking | Corporate Banking |
परिभाषा (Definition) | Retail Banking आम जनता या व्यक्ति को प्रदान की जाने वाली एक Banking सेवा है। | Corporate Banking एक Commercial Banking सुविधा है जो केवल छोटी या बड़ी कंपनियों और Corporate Bodies से संबंधित होती है। |
उत्पाद (Products) | Retail Banking उत्पादों (Products) का ध्यान ग्राहकों पर केंद्रित होता है। | और वही Corporate Banking सेवाएं Businesses की जरूरतों पर केंद्रित होता हैं। |
ग्राहक (Clientele) | Retail Banking का ग्राहक व्यापक (Extensive) होता है। | Corporate Banking का ग्राहक बल्कि Limited होता है। |
Processing Cost | कम (Low) | Retail Banking के Comparison में High होती है। |
लेन – देन (Transactions) | लेनदेन (Transactions) की Lower Value होती है। | लेनदेन (Transactions) की High Value होती है। |
Charges | Retail Banking में Handling Fees Minimum होती है। | Corporate Banking में Handling Fees Retail Banking की तुलना में अधिक होती है। |
Loan Size | 5 करोड़ रुपए तक | 5 करोड़ रुपए से अधिक मिल सकता है। |
रिटेल बैंकिंग किसे कहते हैं? (What is Retail Banking, Retail Banking Kise Kehate Hain?)
Retail Banking एक प्रकार की Financial Service है जो आम जनता के लिए उपलब्ध होती है। Consumer Banking, जिसे Personal Banking के रूप में भी जाना जाता है, ग्राहकों को Basic Banking Services, Credit और Financial Counseling प्रदान करके आपको अपने पैसे को Manage करने की अनुमति देता है। Banking बैंक को एक (Kiosk) में बदल देती है जहां ग्राहक अपने Special Purposes को प्राप्त करने के लिए आवश्यक उत्पाद (Products) या सेवा (Service) का चयन (Selection) और खरीद कर सकते हैं। बैंकों द्वारा ग्राहकों को Provide की जाने वाली Basic Banking और Financial Goods और Services को Retail Banking कहा जाता है।
कॉर्पोरेट बैंकिंग किसे कहते हैं? (What is Corporate Banking, Corporate Banking Kise Kehate Hain?)
Corporate Banking का Aim Business Community की ओर है। यह छोटे पैमाने पर Business की दुनिया है। यह Credit, Treasury, Fixed Assets, Requirement Finance, Commercial Services और Employer Services सहित अन्य सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है। यह एक प्रकार का Commercial Bank है जो की More Specific है। Corporate Banking वह है, जिसे Business Banking के रूप में भी जाना जाता है, जो की ग्राहकों की एक Wide Range को पूरा करता है
ग्राहक संबंध बनाकर बैंक अक्सर अपने Business को ज़्यादा बढ़ाने के लिए Relationship Managers को भी Appoint करते हैं।
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रिटेल बैंकिंग और कॉर्पोरेट बैंकिंग के बीच मुख्य अंतर क्या है? (Differences Between Retail Banking and Corporate Banking in Hindi)
नीचे दिए गए बिंदु रिटेल बैंकिंग और कॉर्पोरेट बैंकिंग के बीच के मुख्य अंतर को Cover करते हैं:
- Retail Banking एक ऐसा Business Model है जिसे बैंक व्यक्तियों और Small Business Enterprises को विभिन्न उत्पादों (Products) और सेवाओं (Services) की पेशकश करके Maximum Customer Base प्राप्त करने के Objective से लागू करते हैं। इसके विपरीत, Corporate Banking बैंकिंग कंपनियों द्वारा अपनाया गया एक अन्य Business Model है ताकि Commercial Enterprises और सरकारी एजेंसियों को उत्पाद (Products) और सेवाएं (Services) प्रदान करके Maximum Revenue Earn किया जा सके।
- Retail Banking के तहत, ग्राहकों को पेश किए जाने वाले उत्पादों और सेवाओं को आमतौर पर Standardized किया जाता है, जिन्हें Off-The-Shelf Product/Services भी कहा जाता है। और वहीं Corporate Banking के तहत, ग्राहकों को उनकी पसंद और ज़रूरतों के आधार पर, Customized Products और Services की पेशकश की जाती है।
- Customer Base की बात करें तो, Retail Banking अक्सर बैंकों के लिए एक बड़ा Customer Base लाता है, जबकि Corporate Banking के पास एक बड़ा Customer Base नहीं होता है, लेकिन Customers संपन्न होते हैं।
- Retail Banking में, Processing Cost कम होती है, जबकि Corporate Banking के मामले में High Processing Cost होती है।
- Retail Banking से कोई भी व्यक्ति केवल ₹5 करोड़ तक का Loan, क्रेडिट स्कोर और History आदि जैसे Factors पर निर्भर करता है। इसके विपरीत, Corporate Banking के साथ, Institutions Loans के लिए ₹5 करोड़ से ज़्यादा के लिए भी आवेदन कर सकता है।
- जब Profit की बात आती है, तो बैंकों के अंदर Retail Banking की तुलना में Corporate Banking अधिक लाभदायक (Profitable) होते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
आज के इस Article 7 Difference Between Retail Banking And Corporate Banking In Hindi के अंदर मैंने आप सभी को Retail Banking और Corporate Banking में क्या अंतर होता है? इसके बारे में बताया जिसमें की हमने समझा की एक Commercial Bank में, Retail Bank और Corporate Banking दोनों Services प्रदान की जाती हैं, जो ग्राहकों, Products / Services की पेशकश और Transaction Amount सहित कई Factors में भिन्न होती हैं।
Retail Banking एक Mass-Market Banking है, जिसमें बड़ी संख्या में ग्राहक और High Volume में लेनदेन (Transactions) होते हैं। इसके विपरीत, Corporate Banking, जैसा कि नाम से ही संकेत मिलता है, बैंकों द्वारा Corporate घरानों को दी जाने वाली Services हैं, जिससे उन्हें अपने Business को बढ़ाने और कुशलता से चलाने में मदद मिलती है।