Difference Between Cheque and Demand Draft in Hindi, चेक और डिमांड ड्राफ्ट में अंतर – आज के आधुनिक समय में, भुगतान (Payments) से लेकर बैंकिंग के सभी काम इंटरनेट और Digitization की बदौलत काफी आसान हो गए है। इसने बैंकिंग क्षेत्र और लोगों के भुगतान के तरीकों को प्रभावित किया है। ज्यादातर बैंक के काम पेपरलेस हो गए हैं और लोग कैशलेस पेमेंट भी पसंद करते हैं। ऐसे आधुनिक डिजिटल वातावरण में, कुछ चीजें हैं जो अभी भी Non-Digital होकर भी बेहद ज़रूरी हैं। जिनमें से दो नामों में चेक और डिमांड ड्राफ्ट शामिल हैं।
ये दोनों Tools आमतौर पर दिन-प्रतिदिन के बैंकिंग कामों में इस्तेमाल किए जाते हैं। हालांकि ज्यादातर लोगों को चेक (Cheque) और डिमांड ड्राफ्ट (Demand Draft) के बीच का अंतर को लेकर काफी Confused से रहते हैं, इसीलिए आज के इस आर्टिकल (Difference Between Cheque and Demand Draft In Hindi) में हम चेक (Cheque) और डिमांड ड्राफ्ट (Demand Draft) के बीच के अंतर को विस्तृत तौर पर सरलता पूर्वक जानने वाले है, तो बने रहिये हमारे साथ पोस्ट के अंत तक –
Contents
चेक और डिमांड ड्राफ्ट में अंतर (Difference Between Cheque and Demand Draft or Comparison Chart Cheque vs Demand Draft)
Cheque | Demand Draft |
चेक (Cheque) एक लिखित दस्तावेज है जिसमें बैंक को उसका खाता धारक द्वारा, सामने वाले इंसान को या कंपनी को एक निश्चित राशि का भुगतान (Payment) करने का आदेश देता है। | डिमांड ड्राफ्ट (Demand Draft) एक Negotiable Tool है, जो बैंक द्वारा एक निश्चित इंसान या संस्था के पक्ष में एक स्थान से दूसरे स्थान पर पैसों के Transfer के लिए जारी किया जाता है। |
चेक (Cheque) खाताधारक (Account Holder) द्वारा बैंक को दिया जाता है। | डिमांड ड्राफ्ट (Demand Draft) एक बैंक की शाखा से दूसरी बैंक की शाखा में दिया जाता है। |
चेक (Cheque) में भुगतान बैंक को चेक प्रस्तुत करने के बाद किया जाता है। | डिमांड ड्राफ्ट के मामले में डिमांड ड्राफ्ट पाने के लिए पहले बैंक को भुगतान किया जाता है फिर कही हमे डीडी प्राप्त होता है। |
चेक (Cheque) जारी करने के लिए बैंक कोई Fees नही लेता। | डिमांड ड्राफ्ट जारी करने के लिए बैंक इसके लिए अपनी Fees भी लेता है। |
चेक के मामले में, यह ड्रॉअर द्वारा भुगतान रोकने के निर्देश या खाते में अपर्याप्त धनराशि के कारण बाउंस हो सकता है। | डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) का अनादर नहीं किया जा सकता है क्योंकि बैंक को पहले ही पैसे का भुगतान किया जा चुका है। |
ग्राहक द्वारा चेक भुगतान को रोका जा सकता है। | डीडी के माध्यम से किए गए भुगतान को रोका नहीं जा सकता है। |
चेक (Cheque) जारी करने वाले पक्ष द्वारा ये Signed होना चाहिए, चाहे वो किसी व्यक्ति या किसी Authorized Firm के Signature हो। | इसमें Authorized Officer की मुहर (Seal) और हस्ताक्षर (Signature) और बैंक का रबर स्टैंप होता है। |
एक चेक लेनदेन में, तीन पक्ष शामिल होते हैं – अदाकर्ता (drawee, ये बैंक होगा), ड्रावर (drawer, ये जिसे हम पेमेंट कर रहे है) और पेयी (payee, ये अकाउंट होल्डर होगा)। | डिमांड ड्राफ्ट लेनदेन में, केवल दो पक्ष शामिल होते हैं – ड्रावर (drawer, ये जिसे हम पेमेंट कर रहे है) और पेयी (payee, ये अकाउंट होल्डर होगा)। |
चेक किसे कहते हैं (What is Cheque in Hindi, Cheque Kise Kehte Hai?)
चेक (Cheque) एक वित्तीय साधन (Financial Tool) को संदर्भित करता है, जिसका इस्तेमाल किसी पक्ष (Party) को भुगतान करने के लिए किया जाता है। इसे भुगतान करने वाले या इस Tool के Holder द्वारा भुगतान के लिए बैंक को प्रस्तुत करना होता है। और ये सिर्फ़ 3 महीने के लिए ही वैध होता है।
हमेशा याद रखें कि चेक (Cheque) का मतलब नकद नहीं है क्योंकि यह भुगतान का अनुमान नहीं लगाता है। जब तक सही समय के अंदर बैंक के सामने चेक प्रस्तुत नहीं किया जाता है, तब तक पैसों की वसूली नहीं की जा सकती है। इसके अलावा, खाते में धनराशि की उपलब्धता चेक के भुगतान के लिए सबसे पहली शर्त भी है। खाते में पर्याप्त राशि नहीं होने पर वो चेक बाउंस हो जाएगा।
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डिमांड ड्राफ्ट किसे कहते हैं (What Is Demand Draft In Hindi, Demand Draft Kise Kehte Hai?)
डिमांड ड्राफ्ट (Demand Draft) या DD एक ऐसी विधि है जिसका इस्तेमाल एक व्यक्ति द्वारा एक बैंक खाते से दूसरे बैंक खाते में भुगतान (Payment) का Transfer करने के लिए किया जाता है। डिमांड ड्राफ्ट नियमित सामान्य चेक से इस मायने में अलग होते हैं कि उन्हें Cash करने के लिए हस्ताक्षर (Signature) की जरुरत नहीं होती है।
यहां, अदा करने वाले बैंक की भूमिका एक गारंटर की तरह है, जो दस्तावेज़ प्रस्तुत करने पर भुगतान जारी करने की उम्मीद देता है या समाशोधन तंत्र (Clearing Mechanism) के माध्यम से अपने बैंक से पैसों को इक्कठा करता है। आप पढ़ रहे है – Difference Between Cheque and Demand Draft
इसके अलावा, यह ज़रूरी नहीं है कि जिस व्यक्ति ने डिमांड ड्राफ्ट के लिए आवेदन किया है, वह बैंक का खाताधारक (Account Holder) होना ही चाहिए, बल्कि कोई भी व्यक्ति DD Form भर सकता है, और संबंधित शुल्क का भुगतान नकद या चेक के माध्यम से कर सकता है। DD का इस्तेमाल आम तौर पर तब किया जाता है जब किसी को दूसरे शहर में भुगतान करना होता है और इसे उसी बैंक की किसी भी शाखा में मंजूरी दी जा सकती है।
चेक और डिमांड ड्राफ्ट के बीच मुख्य अंतर क्या हैं? (Key Differences Between Cheque and Demand Draft In Hindi)
- चेक (Cheque) एक वित्तीय साधन (Financial Tool) है जिसमें बैंक को एक ख़ास राशि का भुगतान उस व्यक्ती को करना होता है जिसका नाम उसमे Mentioned किया गया है। दूसरी ओर, डिमांड ड्राफ्ट (Demand Draft) बैंक द्वारा एक व्यक्ति या संस्था के पक्ष में एक स्थान से दूसरे स्थान पर पैसों को Transfer करने के लिए जारी किया गया एक प्रीपेड साधन है।
- चेक और डिमांड ड्राफ्ट दोनों में भुगतान के लिए एक आदेश होता है, लेकिन चेक के मामले में जारी करने वाला यानी खाताधारक बैंक को भुगतान करने का निर्देश देता है, जबकि, डिमांड ड्राफ्ट के मामले में, यह बैंक शाखा है जो उसी की दूसरी शाखा जो की किसी दूसरे शहर में स्थित है उसे भुगतान करने के लिए आदेश देती है।
- चेक के मामले में, भुगतान Order करने वाले को किया जा सकता है, यानी उस व्यक्ति को जिसका नाम चेक पर है, या उस व्यक्ति को जो बैंक को चेक प्रस्तुत करता है। इसके विपरीत, जैसा कि नाम से पता चलता है, डिमांड ड्राफ्ट उस व्यक्ति या संस्था को देय होता है, जिसका नाम उसके ऊपर लिखा हुआ होता है।
- बैंक के ग्राहक द्वारा एक चेक जारी किया जाता है, जबकि बैंक द्वारा आवेदक को किसी दूसरे व्यक्ति या संस्था के पक्ष में डिमांड ड्राफ्ट जारी किया जाता है।
- चेक के भुगतान के लिए बैंक द्वारा कोई शुल्क (Fee) नहीं लगाया जाता है, लेकिन बैंक डिमांड ड्राफ्ट जारी करने के लिए शुल्क (Fee) के रूप में एक निश्चित राशि लेता है।
- एक चेक जारी करने वाले के द्वारा Signed होना चाहिए, चाहे वह किसी Firm का Authorized Signature हो या कोई Individual व्यक्ति। दूसरी ओर, एक डिमांड ड्राफ्ट में Authorized Officer की मुहर (Seal) और हस्ताक्षर (Signature) और बैंक का रबर स्टैंप होता है।
- एक चेक अलग-अलग कारणों से Dishonoured हो सकता है, जैसे कि पैसों की कमी या दूसरे समान कारणों से। इसके विपरीत, डिमांड ड्राफ्ट को अस्वीकृत नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इसका भुगतान पहले से ही कर दिया जाता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
आज के इस आर्टिकल चेक और डिमांड ड्राफ्ट में अंतर (Difference Between Cheque and Demand Draft In Hindi) में हमने विस्तृत तौर पर चेक और डिमांड ड्राफ्ट के अंतर को समझा, साथ में ये भी जानने को मिला की चेक (Cheque) और डिमांड ड्राफ्ट (Demand Draft) दोनों के अपने-अपने इस्तेमाल और सीमाएं हैं।
रोज़ के आधार पर लाखों लेन-देन से निपटने के लिए, कोई भी चेक का लाभ उठा सकता है, जो की जारी करना बेहद आसान और सुविधाजनक है। इसके विपरीत, जब राशि को एक स्थान से दूसरे स्थान पर Transfer करने की ज़रूरत होती है या अगर इसके लिए Garunteed Payment की ज़रूरत है, तो ऐसे में डिमांड ड्राफ्ट सबसे अच्छा विकल्प है।
अगर इसके बाद भी अगर आपके मन में कोई सवाल है तो मेरे कमेंट बॉक्स में आकर पूछे मैं आपके सवालों का जवाब अवश्य दूंगा तब तक के लिए धन्यवाद और मिलते हैं अगले आर्टिकल में! ऐसे और भी रोचक अन्तरो को जानने के लिए बने रहिये हमारे साथ antarjano.com पर।