क्रिप्टोकरेंसी और फिएट करेंसी में अंतर, 10 Difference between Cryptocurrency and Fiat Currency – आजकल, क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती लोकप्रियता ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। बिटकॉइन और एथेरियम जैसे क्रिप्टोकरेंसी ने एक नई तरह की मुद्रा को जन्म दिया है, जो पारंपरिक मुद्राओं से पूरी तरह अलग है।
क्रिप्टोकरेंसी और पारंपरिक मुद्रा के बीच अंतर समझना बहुत जरूरी है, क्योंकि दोनों ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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क्रिप्टोकरेंसी क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल या वर्चुअल मुद्रा है, जिसे सुरक्षित बनाने के लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग किया जाता है। इसका मतलब है कि इसे धोखाधड़ी से बचाना काफी मुश्किल होता है। सबसे बड़ी खासियत यह है कि क्रिप्टोकरेंसी विकेन्द्रीकृत होती है, यानी इसे किसी सरकार या केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाता।
यह ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करती है, जो हर लेन-देन का रिकॉर्ड एक खुले और पारदर्शी तरीके से रखता है। बिटकॉइन, एथेरियम, और रिपल जैसे क्रिप्टोकरेंसी इसी तकनीक पर आधारित हैं।
क्रिप्टोकरेंसी बनाने की प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं, जहां नए सिक्के बनाए जाते हैं। इसके अलावा, स्टेकिंग का तरीका भी है, जिसका उपयोग एथेरियम 2.0 जैसे नेटवर्क में होता है।
क्रिप्टोकरेंसी में लेन-देन बहुत तेज और सस्ते हो सकते हैं, खासकर जब अंतरराष्ट्रीय ट्रांजैक्शन की बात होती है। इसे डिजिटल वॉलेट में सुरक्षित किया जा सकता है, जो सॉफ़्टवेयर या हार्डवेयर आधारित हो सकते हैं, जो सुरक्षा के हिसाब से अलग-अलग होते हैं।
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फिएट मुद्रा या पारंपरिक मुद्रा क्या है?
पारंपरिक मुद्रा, जिसे फिएट मुद्रा भी कहा जाता है, वह मुद्रा है जिसे किसी देश की सरकार या केंद्रीय बैंक जारी करता है। उदाहरण के तौर पर, यूएस डॉलर (USD), भारतीय रुपया (INR), यूरो (EUR) और ब्रिटिश पाउंड (GBP) जैसे सिक्के और नोट पारंपरिक मुद्राओं के उदाहरण हैं।
फिएट मुद्राओं की कोई आंतरिक मूल्य नहीं होती, यानी इनका कोई शारीरिक समर्थन (जैसे सोना या चांदी) नहीं होता, बल्कि इनकी कीमत सरकार और केंद्रीय बैंक की विश्वसनीयता पर आधारित होती है।
पारंपरिक मुद्रा भौतिक रूप में (सिक्के, नोट) और डिजिटल रूप में (बैंक खातों में जमा राशि) दोनों रूपों में होती है। इसकी वैल्यू पर ब्याज दरें, मुद्रास्फीति और आर्थिक नीतियां प्रभाव डालती हैं।
पारंपरिक मुद्रा को सरकार नियंत्रित करती है, और यह आमतौर पर रोजमर्रा के लेन-देन जैसे सामान खरीदने, बिल भुगतान करने और निवेश के लिए उपयोग की जाती है। केंद्रीय बैंक इसकी आपूर्ति बढ़ा सकते हैं, जो अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है। इसे मुद्रास्फीति या मुद्रालाभ के रूप में अनुभव किया जाता है।
क्रिप्टोकरेंसी और पारंपरिक मुद्रा के बीच अंतर
पहलू | क्रिप्टोकरेंसी | पारंपरिक मुद्रा |
---|---|---|
स्वभाव | डिजिटल और वर्चुअल; केवल ऑनलाइन मौजूद होती है। | भौतिक और डिजिटल; सरकार द्वारा नियंत्रित होती है। |
नियंत्रण | विकेन्द्रीकृत; सरकार या किसी केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा नियंत्रित नहीं। | केंद्रीकृत; सरकार और केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित। |
लेन-देन की गति | नेटवर्क पर निर्भर करता है, लेकिन आमतौर पर तेज। | बैंक प्रक्रिया की वजह से समय लगता है। |
पारदर्शिता | ब्लॉकचेन पर ट्रांजैक्शन पारदर्शी होते हैं। | सीमित पारदर्शिता; ट्रांजैक्शन संस्थाओं द्वारा ट्रैक किए जाते हैं। |
सुरक्षा | क्रिप्टोग्राफी से सुरक्षित; बेहद सुरक्षित। | सुरक्षा बैंक और भौतिक सुरक्षा पर निर्भर करती है। |
मूल्य में उतार-चढ़ाव | बहुत ही अस्थिर; मूल्य तेजी से बदल सकते हैं। | सामान्यतः स्थिर; मौद्रिक नीतियों द्वारा नियंत्रित। |
स्वीकृति | सीमित स्वीकृति, लेकिन धीरे-धीरे बढ़ रही है। | विश्वभर में प्रचलित; सभी जगह स्वीकार की जाती है। |
विनियमन | अधिकांश देशों में हल्का या कोई विनियमन नहीं। | सरकारों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा सख्त विनियमन। |
भौतिक रूप | केवल डिजिटल रूप में होती है (कोई सिक्के या नोट नहीं)। | भौतिक रूप में (सिक्के, नोट) और डिजिटल रूप में होती है। |
स्वामित्व | स्वामित्व गुमनाम होता है, या आधिकारिक रूप से गुमनाम होता है। | स्वामित्व व्यक्तियों या संस्थाओं से जुड़ा होता है। |
निष्कर्ष
क्रिप्टोकरेंसी और पारंपरिक मुद्रा दोनों के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर हैं। जहां पारंपरिक मुद्रा सदियों से वैश्विक अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनी हुई है, वहीं क्रिप्टोकरेंसी एक आधुनिक विकल्प के रूप में सामने आई है, जो विकेंद्रीकरण, पारदर्शिता और तेज़ डिजिटल लेन-देन की संभावना देती है।
हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी में अस्थिरता और विनियामक चुनौतियाँ हैं, जो पारंपरिक मुद्राओं से अलग हैं। इन दोनों के बीच के अंतर को समझना भविष्य में पैसे के उपयोग और निवेश के निर्णयों में मददगार साबित हो सकता है।